Jai Gurudev Naam prabhu ka
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मुझे गुरु देव चरणों में लगा लोगे तो क्या होगा?
मुझे गुरु देव चरणों में लगा लोगे तो क्या होगा?
भटकती सुर्त को पावन बना दोगे तो क्या होगा?
न समरथ तुम सदृश कोई है आया दृष्टि में मेरे।
शरण में इससे आया हूॅ बचा लोगे तो क्या होगा।
तुम्हारे द्वार से कोई कभी खाली नहीं जाता।
मेरी झोली भी भर करके उठा दोगे तो क्या होगा।
दयालु दीन बन्धु नाम तेरे लोग कहते हैं।
दया कर तुच्छ सेवक यदि बना लोगे तो क्या होगा।
जानता हूं कि उसके योग्य भी मैं हूं नहीं स्वामी।
हो पारस लौह को कंचन बना दोगे तो क्या होगा।
बहुत बीती रही थोड़ी वो यह भी जाने वाली है।
उस अन्तिम स्वांस लौं अपना बना दोगे तो क्या होगा।
मोको कहां ढूढ़े बन्दे, मैं तो तेरे पास में।। टेक।।
मोको कहां ढूढ़े बन्दे, मैं तो तेरे पास में।। टेक।।
ना तीरथ में ना मूरत में, ना एकान्त निवास में।
ना मन्दिर में ना मस्जिद में, ना काशी कैलाश में।। 1।।
ना मैं जप में ना मैं तप में, ना मैं बरत उपवास में।
ना मैं क्रिया कर्म में रहता, नहीं योग सन्यास में ।। 2।।
नहीं प्राण में नहीं पिंड मंे, न ब्रह्माण्ड आकाश में।
ना मैं भृकुटि भंवर गुफा में, सब श्वासन की श्वास में।।3।।
खोजी होय तुरत मिल जाऊं, एक पल की हि तलाश में।
कहहिं कबीर सुनो भाई साधो, सब स्वांसों की स्वांस में ।। 4।।
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे, गुरुदेव दयालु मेरे।
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे, गुरुदेव दयालु मेरे।
तुम भक्तन के हितकारी मैं आया शरण तुम्हारी।
काटो जन्म मरण के फेरे, गुरुदेव दयालु मेरे।
मेरे डोले भंवर बिच नैया प्रभु बन जाओ आप खिवैया।
मेरी तुम्हीं सांझ सबेरे, गुरुदेव दयालु मेरे।
तुम युग-युग अन्दर आये, मोह नींद से जीव जगाए।
काटो जन्म मरण के फेरे, गुरुदेव दयालु मेरे।
हम अधम जीव अभिमानी, तेरी भक्ति ना हमने जानी।
मैंने किये हैं पाप घनेरे, गुरुदेव दयालु मेरे।
जब तेरी डोली निकाली जायेगी। बिन मुहूरत के उठाली जाएगी।
जब तेरी डोली निकाली जायेगी। बिन मुहूरत के उठाली जाएगी।
उन हकीमों ने कहा यों बोलकर। कहते थे दावे किताबे खोलकर।
यह दवा हरगिज न खाली जायेगी। बिना मुहूरत के उठाली जाएगी।
जर सिकन्दर का यहीं सब रह गया। मरते दम लुकमान भी ये कह गया।
यह घड़ी हरगिज न टाली जायेगी। बिना मुहूरत के उठाली जाएगी।
ऐ मुसाफिर क्यों बसरता है यहां। यह किराए पर मिला तुमको मकां।
कोठरी खाली करा ली जाएगी, बिन मुहूरत के उठाली जाएगी।
होगा जम लोक में जब जब तेरा हिसाब। कैसे मुकरोगे बताओ ऐ जनाब।
जब बही तेरी निकाली जाएगी। बिन मुहूरत के उठाली जायेगी।
जब तेरी डोली निकाली जायेगी। बिन मुहूरत के उठाली जाएगी।
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